Friday, November 7, 2008

Written by Alok

प्रिय टुकटुक
सदैव प्रसन्न रहो और अपने सभी अपनों को प्रसन्न रखो
सदैव ही किसी के हर्ष का कारण बनो

आपने तो हमारे बारे मे जो दृष्टिकोण रखा हुआ है
उतना तो हम भी स्वयं के बारे मे नहीं जानते थे

चलिए आपको हम जैसे भी लगे उसके लिए आपको प्यार भरा धन्यवाद

आपको हमेशा गर्व होना चाहिए अपने माता पिता एवं अपने गुरुजनों पर जिन्होंने आपको ऐसी शिक्षा और संस्कार दिए है

हमारा तो सदा से ही यही प्रयास रहता है कि हम किसी के काम आ सके
और रही साथ कि बात तो जहा तक हमारी सामर्थ्य है हम संबंधों को प्रगाढ़ ही बनाये रखने का प्रयत्न करते है तो आप हमारी तरफ से निश्चिंत रहे

और आपसे मिलकर हमें ऐसा लगा कि यदि इस धरती पर दंभ (घमंड) और द्वेष (ego) कि भावना नहीं होती तो यह कितनी सुन्दर होती अतः आप सदैव ही इनदोनों से बचे रहने का प्रयास करना


निरंतर प्रगति करो
और अपनों के शान का कारण बनो
इश्वर सदैव आपका मार्ग प्रशस्त करे

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