Wednesday, May 13, 2009

हमसफ़र

क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता

कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होटा


आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता

क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता

कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता

Monday, May 11, 2009

जिन्दगी

मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर.....इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और....जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और....जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती ।ये सिलसिला यहीं चलता रहता.....फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा.........." तुम हार कर भी मुस्कुराते हो ! क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का ? "तब मैंनें कहा................मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगेजिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं......तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुँगा.......एक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगा..........बीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा।ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगा.........मैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी......मगर जिन्दगी अपनी जीत पर भी ना मुस्कुरा पाई थी --

Friday, May 8, 2009

एक दोस्त

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,एक झूठ है आधा सच्चा सा ।
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .

जीवन का एक ऐसा साथी है ,जो दूर हो के पास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

हवा का एक सुहाना झोंका है ,कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा ।
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,कभी अपना तो कभी बेगानों सा .

जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है ।
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है ।

यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं