हमेशा सुना था की इंसान कभी पूर्ण नहीं होता सब में कुछ ना कुछ कमियां होती ही हे ऐसा क्यों करता हे ऊपर वाला ? क्यों हमारे कुछ टुकड़े, हमारे अपने टुकड़े इधर उधर फेक देता हे जिसे हम ज़िन्दगी भर ढूंढते रहते हे सब कुछ होते हुए भी कुछ ना कुछ छूट जाता हे, जो नहीं होता अपपने पास कोई पा भी लेता हे जल्दी उन टुकड़ों को और किसी के नसीब में सिर्फ तलाश होती हे जिसमे एक उम्र बीत जाती हे अब ये मत कहना की तलाश नहीं होती हे किसी को सबको होती हे बस रूप अलग अलग होता हे , किसी को पैसे की तलाश हे , किसी को प्यार की, किसी को ज्ञान तो किसी को मोक्ष और कोई सिर्फ शान्ति तलाश रहा होता हे मगर हर इंसान शामिल हे इस दौड़ में
Thursday, June 11, 2015
में साहिल पे लिखी हुए इबादत नहीं जो लहरों से मिट जाती हे
में बारिश की बरसाती बूँद भी नहीं जो बरस कर थम जाती हे
में ख्वाब नहीं जिसे देखा और भुला दिया
में शमा नहीं जिसे फूंका और बुझा दिया
मई हवा का झोंका भी नहीं जो आया और गुज़र गया
में चाँद भी नहीं जो रात के बाद ढल गया
में तो एक एहसास हूँ जो तुझमे लहू बन कर गर्दिश करे
में तो वह रंग हूँ जो तेरे दिल पे चढ़ते तो कभी न मिटे
में वह गीत हूँ जो तेरे लबों से ज़ुदा न होगा
ख्वाब, इबारत , हवा की तरह, चाँद , बूँद , शमा की तरह
मेरे मिटने का सवाल ही नहीं
क्योंकि मैं तो तेरी मोहब्बत हूँ।
क्योंकि में तेरा जुनून हूँ।
में तो एक दोस्त हूँ।
Tuesday, July 14, 2009
सरिता दास
Meri gudiya raani bol,
kyun gumsum ho muh toh khol।
saji dhaji dulhan si pyaari,
jaise chanda ki ujiyaari,
sava laakh ke jevar tan pe,
sundarta teri anmol,
meri gudiya raani bol,
q gumsum ho muh toh khol
kyun gumsum ho muh toh khol।
saji dhaji dulhan si pyaari,
jaise chanda ki ujiyaari,
sava laakh ke jevar tan pe,
sundarta teri anmol,
meri gudiya raani bol,
q gumsum ho muh toh khol
Wednesday, May 13, 2009
हमसफ़र
क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होटा
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होटा
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता
Monday, May 11, 2009
जिन्दगी
मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर.....इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और....जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और....जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती ।ये सिलसिला यहीं चलता रहता.....फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा.........." तुम हार कर भी मुस्कुराते हो ! क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का ? "तब मैंनें कहा................मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगेजिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं......तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुँगा.......एक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगा..........बीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा।ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगा.........मैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी......मगर जिन्दगी अपनी जीत पर भी ना मुस्कुरा पाई थी --
Friday, May 8, 2009
एक दोस्त
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,एक झूठ है आधा सच्चा सा ।
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .
जीवन का एक ऐसा साथी है ,जो दूर हो के पास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
हवा का एक सुहाना झोंका है ,कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा ।
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,कभी अपना तो कभी बेगानों सा .
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है ।
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है ।
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,एक झूठ है आधा सच्चा सा ।
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .
जीवन का एक ऐसा साथी है ,जो दूर हो के पास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
हवा का एक सुहाना झोंका है ,कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा ।
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,कभी अपना तो कभी बेगानों सा .
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है ।
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है ।
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं
Friday, November 7, 2008
Written by Sonia
देखी ना कोई......... तेरे जैसी.....
देखा है सारा जहाँ .........
वो एक नन्ही सी परी
न जाने कितनी मिठास है उसकी बातों में ......!
कितनी मासूम है वो ,
जैसे बचपन समाया हो अभी भी उसमें.......!
रंग दूधिया, छवि उसकी सुहानी धुप हो जैसे
चंचलता नदी के बहते पानी जैसी है उसमें .....!
अब कुछ कर गुजरना चाहती है वो
नील गगन में पंछी बनकर उड़ने की तमन्ना है उसमें ....!
कितनी sweet-sweet, प्याली - प्याली, सोनी - सोनी
milky - choclati, कमाल की ये परी
देखा है सारा जहाँ .........
वो एक नन्ही सी परी
न जाने कितनी मिठास है उसकी बातों में ......!
कितनी मासूम है वो ,
जैसे बचपन समाया हो अभी भी उसमें.......!
रंग दूधिया, छवि उसकी सुहानी धुप हो जैसे
चंचलता नदी के बहते पानी जैसी है उसमें .....!
अब कुछ कर गुजरना चाहती है वो
नील गगन में पंछी बनकर उड़ने की तमन्ना है उसमें ....!
कितनी sweet-sweet, प्याली - प्याली, सोनी - सोनी
milky - choclati, कमाल की ये परी
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