Friday, May 8, 2009

एक दोस्त

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,एक झूठ है आधा सच्चा सा ।
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .

जीवन का एक ऐसा साथी है ,जो दूर हो के पास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

हवा का एक सुहाना झोंका है ,कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा ।
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,कभी अपना तो कभी बेगानों सा .

जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है ।
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है ।

यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं

1 comment:

रवि रतलामी said...

बढ़िया कविता है