Thursday, June 11, 2015

में साहिल पे लिखी हुए इबादत नहीं जो लहरों से मिट जाती हे 
में बारिश की बरसाती बूँद भी नहीं जो बरस कर थम जाती हे 
में ख्वाब नहीं जिसे देखा और भुला दिया 
में शमा नहीं जिसे फूंका और बुझा दिया 
मई हवा का झोंका  भी नहीं जो आया और गुज़र गया 
में चाँद भी नहीं जो रात के बाद ढल गया 
में तो एक एहसास हूँ जो तुझमे लहू बन कर गर्दिश करे 
में तो वह रंग हूँ जो तेरे दिल पे चढ़ते तो कभी न मिटे 
में वह गीत हूँ जो तेरे लबों से ज़ुदा न होगा 
ख्वाब, इबारत , हवा की तरह, चाँद , बूँद , शमा की तरह 
मेरे मिटने का सवाल ही नहीं
क्योंकि मैं तो तेरी मोहब्बत हूँ।
क्योंकि में तेरा जुनून हूँ। 
में तो एक दोस्त हूँ। 



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